कोरोना महामारी (Covid-19) के दौरान सभी शैक्षिक संस्थान (Educational Institutions) बंद कर दिए गए थे, जिससे विद्यार्थियों (Students) की शिक्षा प्रभावित हुई। जब महामारी का प्रभाव कम हुआ, तब परिषदीय विद्यालयों (Council Schools) को दोबारा खोला गया, लेकिन उनके संचालन समय (School Operation Time) में बदलाव कर दिया गया।
अब, विभिन्न शिक्षक संघों (Teacher Unions) और किसान संगठनों (Farmer Unions) द्वारा यह मांग की जा रही है कि विद्यालयों के संचालन समय को पूर्ववत (Revert Back) किया जाए, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों (Rural Areas) के विद्यार्थियों को अधिक सुविधा मिल सके।

बदलाव का प्रभाव
परिषदीय विद्यालयों के संचालन समय में बदलाव के कारण कई चुनौतियाँ उत्पन्न हुई हैं:
- विद्यार्थियों का स्वास्थ्य (Student Health & Hygiene):
परिवर्तित समय के कारण छात्र-छात्राओं को अत्यधिक गर्मी में स्कूल जाना पड़ता है, जिससे उनका स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। - शैक्षिक गुणवत्ता पर प्रभाव (Impact on Education System):
ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली और इंटरनेट (Electricity & Internet) की सुविधा सीमित होती है।
मांग और समाधान
भारतीय किसान यूनियन (Bhartiya Kisan Union) जैसे संगठनों ने सरकार से अपील की है कि:
- विद्यालयों का संचालन समय फिर से सुबह 8:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक किया जाए।
- ग्रामीण स्कूलों (Rural Schools) में बुनियादी सुविधाएँ (Basic Infrastructure) बेहतर की जाएँ।
निष्कर्ष
शिक्षा (Education) किसी भी राष्ट्र की प्रगति की नींव होती है। इसलिए, विद्यालयों के संचालन समय (School Timing) को पूर्ववत करना आवश्यक है ताकि विद्यार्थियों को एक उचित शैक्षिक वातावरण (Educational Environment) प्राप्त हो और वे स्वस्थ रहते हुए अपनी शिक्षा जारी रख सकें।