वाराणसी। महाकुंभ 2025 का अमृतकाल संपन्न हो गया। इस पावन अवसर पर पूरे विश्व ने सनातन धर्म की गहराई, अध्यात्म और धार्मिक भावनाओं को न केवल महसूस किया, बल्कि करोड़ों श्रद्धालुओं ने इसमें सहभागिता भी की। प्रयागराज इस भव्य आयोजन का केंद्र रहा, जहां लगभग 66 करोड़ श्रद्धालु देश-विदेश से आए।
काशी और अयोध्या में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

महाकुंभ के दौरान काशी और अयोध्या भी आस्था के जनप्रवाह से ओत-प्रोत रहे। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में इन 45 दिनों में 2 करोड़ 45 लाख 50 हजार से अधिक श्रद्धालु पहुंचे और बाबा के दर्शन किए। हालांकि, कई श्रद्धालु विभिन्न कारणों से मंदिर के भीतर नहीं जा सके, लेकिन उन्होंने गंगा स्नान और शिखर दर्शन कर अपनी आस्था व्यक्त की।
महाशिवरात्रि पर बना नया रिकॉर्ड

महाकुंभ के अंतिम दिवस, काशी के सबसे बड़े पर्व महाशिवरात्रि पर भक्तों की अपार भीड़ उमड़ी। बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए इस दिन 11,69,553 श्रद्धालु पहुंचे, जो अब तक एक दिन में दर्शन करने वालों की सबसे बड़ी संख्या है।
महाकुंभ की विशेषताएं
- 66 करोड़ श्रद्धालुओं की सहभागिता
- प्रयागराज, काशी और अयोध्या में श्रद्धालुओं की भारी भीड़
- महाशिवरात्रि पर ऐतिहासिक संख्या में भक्तों की उपस्थिति
- गंगा स्नान और शिखर दर्शन का अद्भुत नजारा
महाकुंभ 2025 ने एक बार फिर से यह सिद्ध कर दिया कि सनातन धर्म की आस्था, भक्ति और श्रद्धा अद्वितीय है। इस आयोजन ने आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करते हुए पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति की महत्ता को स्थापित किया।
